Thursday, 26 March 2015

आनंद हूँ मैं

आनंद हूँ मैं, मत पूँछ यह औरों को मैंने क्या दिया, पल पल की है मुस्कान दी, हर पल है मैंने जान दी, आँखों के टपकते आंसुओं से पूँछ, है मैंने ही उन्हें शान दी| बहुत कठिन नहीं है मुझे समझना पर इस समतल किनारे में भी बहुत गहराई है| बहुत से राज़ इस मुस्कान के पीछे दबाये हमेशा मुस्कुराता हुआ अपनी दुनिया के ख्वाब बुनता हूँ और सियाही से पन्नों पर उतार देता हूँ| यह है मेरी कहानी, आनंद राग|

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