रिश्तों को टूटता देख रहा हूं
बंधन को बिखरता देख रहा हूं
काश मैं वक्त को रोक देता
सबकुछ हाथों से सरकता देख रहा हूं
हंसी भी थी
खुशी भी थी
मंज़िल भी थी
रास्ते भी थे
पर सब निकलता देख रहा हूं
वो कहते हैं कि सब ठीक होगा
वो कहते हैं कि बिगड़ी भी बन जाएगी
वो कहते हैं कि वक्त सब ठीक कर देगा
पर वो नहीं जानते की मैं वक्त को
फिसलता देख रहा हूं
बंधन को बिखरता देख रहा हूं
काश मैं वक्त को रोक देता
सबकुछ हाथों से सरकता देख रहा हूं
हंसी भी थी
खुशी भी थी
मंज़िल भी थी
रास्ते भी थे
पर सब निकलता देख रहा हूं
वो कहते हैं कि सब ठीक होगा
वो कहते हैं कि बिगड़ी भी बन जाएगी
वो कहते हैं कि वक्त सब ठीक कर देगा
पर वो नहीं जानते की मैं वक्त को
फिसलता देख रहा हूं
No comments:
Post a Comment